Tuesday, 20 December 2016

नित्यानन्द गायेन की कविताएं (प्रस्तुति- जज़्बा ब्लॉग)



     “उम्मीद की झूठी तसल्ली पर खड़ा हूँ ! / झूठ की उम्र लंबी नहीं होती/ जानता हूँ।” कविता की उक्त पंक्तियाँ इस बात की मुकम्मल गवाही देती हैं कि नित्यानंद गायेन अपने समय के बेखौफ़ कवि हैं। नित्यानन्द उन गिने-चुने कवियों में शुमार किए जाते हैं जिन्होंने कविता को जीया है। सचमुच बिना किसी लाग-लपेट के अपनी बात कहने का माद्दा युवा साथी नियानन्द की कविताओं की ताकत है। ध्यातव्य है, तमाम मोहभंग के बावजूद उनकी कविताओं में उम्मीद  हमेशा बरकरार रहती है। मैं पतझड़ में बसंत लिख रहा हूँ कविता इस बात का सशक्त उदाहरण है। प्रेम उनकी कविताओं का जन्मजात पक्ष है। कविता में प्रेम लिखने की आदत कवि की पुरानी आदत है। नित्यानन्द की यह खासियत है कि वह बुरे समय में भी इस रंगत से नहीं चूकते। सचमुच नित्यानन्द फक्कड़ मिजाज के कवि हैं। एक प्रकार से यह कहना यहाँ बेहद समीचीन होगा कि उनका जीवन ही उनकी कविता है और उनकी कविताएं ही उनका जीवन। काबिल-ए-गौर है कि नित्यानन्द की कविताओं में जीवन के विविध रंग हैं, उनके कहने के लहजा बिलकुल लतीफ़ है। कवि की यह विशेषता है कि वह किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में भी कविता लिखने से अपना मुंह नहीं मोड़ते। “मैं उदासी में / तुम्हारे लिए / गीत लिख रहा हूँ” पंक्तियाँ इस बात की मिसाल हैं। मैं यह मानता हूँ सही अर्थों में एक कवि का परिचय उसकी कविताएं ही होती हैं। तो आइये हम आपको सीधे रू-ब-रू करवाते हैं, नित्यानन्द गायेन की कविताओं से -           

 

तुम्हारे पक्ष में

तुम्हारे पक्ष में लिखी 
सारी कविताएँ मेरी डायरी में 
कैद है 
तुम्हारी आज़ादी के साथ 
उन्हें आज़ाद करूँगा
तुम मजबूरियों से बाहर तो निकलो
एक भरा-पूरा संसार
खड़ा है
तुम्हारे स्वागत में|


झूठ की उम्र लंबी नहीं होती

मुल्क टूटा,
घर टूटा,
टूटे रिश्ते-नाते,

तुम रूठे,
मैं रूठा,
यूँ ही बिखर गये

उम्मीद की झूठी तसल्ली पर
खड़ा हूँ !
झूठ की उम्र लंबी नहीं होती.
जानता हूँ

  
मैं पतझड़ में बसंत लिख रहा हूँ
तुम्हारी सुन्दरता पर फ़िदा होने वाले
महसूस नहीं करेंगे
तुम्हारी वेदना को,
तनहाई को।
वे सभी सुन्दरता के कायल हैं
पसन्द नहीं उन्हें उदासी
अन्धकार से नफ़रत है उन्हें
मैं उदासी में
तुम्हारे लिए
गीत लिख रहा हूँ ...
मैं पतझड़ में
बसन्त लिख रहा हूँ।

उम्मीद

वक्त के इस दौर में

जब आत्महत्या करने को विवश हैं
हमारी सारी संवेदनाएं
उन्हें बचाने के लिए
कविताएँ लिख रहा है
तुम्हारा कवि
इस उम्मीद के साथ
कि मैं रहूँ या न रहूँ
दुनिया में बची रहेगी
संवेदनाएं,
संवेदनाएं जो मनुष्य होने की
पहली जरुरत है
और मेरे भीतर
बचा रहेगा
तुम्हारा प्रेम।

मेरे दर्द को तुमने कविता बना दिया

दरअसल मैंने
दर्द लिखा हर बार
जिसे तुमने मान लिया
कविता।
मेरे दर्द को
तुमने कविता बना दिया !

प्रेम ही खुद में सबसे बड़ी क्रांति है

ख़ुशी लिखना चाहता था 
लिख दिया तुम्हारा नाम 
लिखना चाहता था 'क्रांति
और मैंने 'प्रेम' लिख दिया 
सदियों से 
प्रेम ही खुद में सबसे बड़ी क्रांति है


जब प्रेम सबसे बड़ा अपराध घोषित हो चुका है


यह हमारे दौर का
सबसे खूंखार समय है
हत्या बहुत मामूली घटना है इन दिनों
ऐसे समय में
जब प्रेम सबसे बड़ा अपराध घोषित हो चुका है
मैं बेखौफ़ हो कर 
लिख रहा हूँ 
प्रेम कविताएँ 
तुम्हारे लिए

लेखकीय परिचय-


जन्म- 20 अगस्त 1981, शिखरबाली गाँव, बारुइपुर, दक्षिण चौबीस परगना, पश्चिम बंगाल
प्रकाशन- अपने हिस्से का प्रेम (2011) कविता-संग्रह, कविताओं का नेपाली, अंग्रेज़ी, मैथिली तथा फ़्रांसिसी भाषाओँ में अनुवाद

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