मित्रों, आज मैं अपने ब्लॉग
की शुरुआत इस छोटी सी कविता ('आदमी') के साथ कर रहा हूँ। उम्मीद है आपको पसंद आएगी......
आदमी,
आदमी का
चेहरा भूल जाता है।
आदमी का भूलना,
किसी चेहरे का भूलना
'आदमी' और
'चेहरा'
'चेहरा' और 'आदमी',
को एक साथ भूलना
दोनों
अलग है।
चेहरे को भूलना
उसकी 'पहचान'
का भूलना है
और
'आदमी' को
भूलना
उसकी 'आदमियत'
का...
पी. त्रिपाठी
बहुत खूब
ReplyDeleteShukriya sanjay jee
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