Thursday, 7 September 2023

हीना खातून के लिए...

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ढलती शाम के साथ
पहाड़ियां सन्नाटे से लतपथ थी
तीस्ता का पानी ठिठक सा गया था
समय के साथ
चुप्पियों की सघनता बढ़ रही थी
किसी में कुछ भी कह पाने का साहस नहीं था

शायद! यह सब देखते-देखते
हीना ने दुनिया को अलविदा कहा होगा।

भोर के उजास के साथ
सुबह उदास थी।

पहाड़ियां, कुछ और नम थी
सहमी सी नदियों में हाहाकार था
पत्थरों में चुप्पी थी
चुप्पियों में ख़ामोशी थी
क्योंकि
पत्थर अब और पत्थर हो चुके थे।

हीना तुम नहीं हो
लेकिन, यहाँ तुम्हारे जितना ही चुप्पी है
और
चुप्पियों से कहीं अधिक पत्थर हैं

यह तेइस अगस्त की शाम है
हमारी घड़ी में छह बजकर चार मिनट हो रहे हैं
दुनिया चाँद-ख़यालों में गुम है

मोमबत्तियां अब सिहरकर बुझ चुकी हैं

तुम ठीक ही कहती थी
पत्थर महज पत्थर होते हैं।
हीना! क्या तुम चाँद पर हो?

~ प्रदीप त्रिपाठी








(पिछले दिनों सिलीगुड़ी से गंगटोक जाने के रास्ते में बाग़पुल के पास लैंडस्लाइड के कारण सिर पर अचानक पत्थर गिरने से सिक्किम विश्वविद्यालय की विद्यार्थी हीना का असामायिक निधन हो गया। यह हम सबके लिए अत्यंत दुःखद क्षण है। बहुत भारी मन से विनम्र श्रद्धांजलि! हीना)

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