कम
चर्चित साहित्यकारों के साहित्य की चोरी फिल्मी दुनिया में खूब होती है.
जब मैं फिल्मीे दुनिया में आया था, मुझसे कम चर्चित उर्दू साहित्यकारों का
साहित्य पढ़वाया जाता और उसको तोड-मरोड़कर इस्तेमाल कर लिया जाता...
अमलेश प्रसाद
‘‘मैंने
1 जनवरी, 2015 को पीके फिल्मी देखी तो मैं हैरान हो गया. पीके फिल्म मेरे
उपन्यास फरिश्ता की कट/कॉपी/पेस्ट है.’’ ये शब्द हैं कपिल ईसापुरी के. इन
शब्दों में लेखक कपिल ईसापुरी काफी मर्माहत दिखते हैं. प्रेस कांफ्रेंस कर
अपना दर्द बयान करते हैं, लेकिन मीडिया में एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है-
लिखता कोई है, दिखता कोई और है, बिकता कोई और है.
इस कहावत
का व्यावहारिक रूप प्रसिद्ध लेखक निर्देशक बीआर इसारा विविध भारती को दिए
एक साक्षात्काकर में इस प्रकार समझाते हैं- ‘‘कम चर्चित साहित्यकारों के
साहित्य की चोरी फिल्मी दुनिया में खूब होती है. जब मैं फिल्मीे दुनिया में
आया था, मुझसे कम चर्चित उर्दू साहित्यकारों का साहित्य पढ़वाया जाता और
उसको तोड-मरोड़कर इस्तेमाल कर लिया जाता.’’
इस तरह की
साहित्यिक चोरी बड़े-बड़े लेखक, निर्देशक और निर्माता तक करते हैं. हाल
में आयी ब्लॉकबस्टर फिल्मी 'पीके' पर भी उपन्यासकार कपिल ईसापुरी ने अपने
उपन्यास 'फरिश्ता'से कॉन्टेंट चुराने का आरोप लगाया है. एक लेखक के लिए
उसके साहित्य की चोरी सबसे बड़ी क्षति ही नहीं, बल्कि उसके लिए अहसनीय दर्द
होता है. विचारों की चोरी उसके लिए संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है.
कपिल ईसापुरी कहते हैं, ‘‘मैंने चार जनवरी को फिल्म लेखक संघ, मुंबई में
ईमेल से शिकायत दर्ज की, लेकिन वहां से पांच जनवरी को मुझे ईमेल से
नकारात्मक उत्तर मिला. फिर मैंने कोर्ट में जाने का फैसला किया’’
दिल्ली
हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कपिल ईसापुरी ने आरोप लगाया है कि उनके
उपन्यास ‘फरिश्ता’ से कॉन्टेंट चुराया गया है. वे कहते हैं, ‘‘साल 2013 में
छपे अपने उपन्यास ‘फरिश्ता’ में मैंने तथाकथित धर्मगुरुओं की अंधभक्ति की
आलोचना की है. मैंने उपन्यास में इस बात पर विशेष जोर दिया है कि धर्म का
पेशा प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानव निर्मित और कृत्रिम है.’’ किसी साहित्यिक
कृति का मूल विचार चुराकर केवल भाषा और शैली बदलकर एक नया साहित्य गढ़ने का
धंधा शातिर लोग अक्सर करते रहते हैं.
ईसापुरी
की शिकायत है कि, ‘‘फिल्म के जरिए उठाए गए विभिन्न मुद्दे मेरी किताब में
से कॉपी किए गए हैं. उपन्यास में कई और भी ऐसे दृश्य हैं, जिनमें मामूली
बदलाव और अनावश्यक परिवर्तन करके 'पीके' में इस्तेमाल किया गया है.’’
वकील
ज्योति कालरा की मदद से दायर की गई याचिका में लेखक ने पीके फिल्म के
निर्माता विधु विनोद चोपड़ा, निर्देशक राज कुमार हिरानी, स्क्रिप्ट राइटर
अभिजीत जोशी और अभिनेता आमिर खान को कठघरे में खड़ा किया है. अपने उपन्यास
से उन्होंने सत्रह दृश्य चुराने का आरोप लगाया है. इसमें दृश्य, संवाद और
विषयवस्तु शामिल हैं.
जस्टिस
नाजमी वजीरी ने फिल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा, निर्देशक राज कुमार
हिरानी, उनकी फिल्म निमार्ण कंपनी, पटकथा लेखक अभिजीत जोशी और अभिनेता आमिर
खान से 16 अप्रैल से पहले दिल्ली हाईकोर्ट के ज्वाइंट रजिस्ट्रार के सामने
अपना पक्ष रखने को कहा है.
लगभग 600
करोड़ की कमाई करने वाली 'पीके' फिल्म के निर्माताओं से लेखक ने एक करोड़
रुपये के मुआवजे के साथ-साथ अपने काम के लिए श्रेय की भी मांग की है.
गौरतलब है कि कपिल ईसापुरी ने इंजीनियरिंग और पत्रकारिता की पढ़ाई की है. (जंज्वार से साभार)